अपना खुशी और ग़म नहीं छिपा सकता हूँ,
यह मुझे मेरी आंखों से पढ़ सकती है।।
छू नहीं सकते है, तेरे यमदूत मुझे ए यमराज,
यह 'शिव' अपने 'पांडा' की गोद बैठा है।।
उसकी उन आंखों मे नमी देखी है,
अस्पताल में मैंने वो परेशान देखी है।।
मेरे हर गुनाह को वो धो देती है,
वो मेरे कान के नीचे दो देती है।।
मेरे परेशान करने पर रो देती है,
अपने दुपट्टे से आंसुओ को धो देती है।।
जब ज़िन्दगी में कुछ खराब आ जाता है,
'पांडा' मुझे ना तेरा ख्वाब आ जाता है।।
उसके सामने खुल कर रोया भी नही जाता है,
मुझे रोता देख उसकी आंखों में अश्क़ आ जाता है।।
यह सोनम गुप्ता नहीं है,
मेरी माँ है, यह बेवफ़ा नही होती है।।
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